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Wednesday, 22 April 2020

हम छोटे ही अच्छे थे

🐍कोरोना🐍 ने हमें 40 वर्ष पिछे ढ़केल दिया।
मन की पुरानी ऊपज को हरा भरा कर दिया!
"छोटे ही अच्छे थे" को शब्दों में पिरोने 
के लिए विवश किया!
वैसे बचपन सभी का कुछ ऐसा रहा होगा।.....
🌺जय माता दी🌺
हम छोटे ही अच्छे थे....
हम छोटे थे तो ही अच्छे थे!
खुशियाँ थी और प्यार था।
सुन्दर अपना संसार था।
दिन भर खेल-कूद, मार-पिट
व ऊधम मचाया करते थे!
शाम होते ही भूल जाते थे।
हाथ पकड़ संग सो जाते थे।
खाने पीने की वस्तुओं में
जब हेरा फेरी होती थी
मेरा कम है उसका ज्यादा
बहस जुबानी होती थी।
माँ डांटे चाहे मारे बाबा!
भाई बहन संग गुत्थी गुत्था!
दिल पर कभी नहीं लगती थी।
💌
ब्याह हुआ जब आई जनानी
बच्चों सग परिवार हुआ
जिम्मेदारियों का ज्ञान हुआ।
भूल गए सब अपनी पुरानी!
हर बात दिलों पे लगती है।
बोली भाषा भी बदलती है।
हम छोटे थे तो ही अच्छे थे।
खुशियाँ थी और प्यार था।
सुन्दर अपना संसार था।
💌
बड़े हुए जाने क्या हुआ!
दूरियाँ देखो तमाम हुआ।
बात समझ में यह आई!
बड़ी सोच ही गलत रे भाई!
बड़े में जबर अकड़ समाई।
शब्दों में भी फर्क दिखाई!
बातों के मायने अनेक हुए!
पूरी दिक्कत इसी से आई।
चलो ऐसा अब करते हैं!
हम सब छोटे बने रहते हैं!
क्या होगा समझ के मायने!
सारी विपदा इसी से छाई!
बदल लेते हैं अपने इरादे!
हम फिर छोटे बन जाते हैं!
💌
ऐसे बड़े बनकर क्या होगा!
अकड़ में रहकर क्या होगा!
नफरत में जी कर क्या होगा!
हम छोटे थे तो ही अच्छे थे!
फिर से छोटे बन जाते हैं!
अकड़ को मार भगाते हैं!
संग प्रेम भाव से रहते हैं!
बदल लेते अपना स्वभाव!
छोटे ही बन जाते हम यार!
खुशियां व प्यार रहे सदा!
सुन्दर बना रहे अपना जहाँ!
💌
सुनो संत कबीर की वाणी
याद रहे न हो परेशानी :~
बड़े हुए तो क्या हुआ  जैसे पेड़ खजूर;
पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर।
❣❣
✒.....धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (एडवोकेट)

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