आम है राजा..
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आम फलों का होता राजा,
अइसहीं नहीं सब को भाता।
गुदा तो होता सबसे जुदा,
मजा गुठली चुसने में आता।
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मुँह में डार निकार चुसाता,
गजबे स्वाद चुसने में आता।
स्वाद गजबे मजा भी गजबे,
रोज खवाता मन न अघाता।
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स्वाद में शहंशाह आम राजा,
गुण से अपने कहलाता राजा।
अनोखे स्वाद का वह स्वामी,
तभी तो सबके मन का राजा।
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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
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