।।मुक्तक।। मान देना....
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मान देना सरल नहीं होता,
मन छोटा महसूस करता।
मुक्त होता जो इन सोचों से,
जीवन तभी स्वछंद होता।
शक शंका होता दुखकारी,
प्यार मोहब्बत तोड़े यारी।
खुशियों के होते हैं नाशक,
दुख दर्द के वाहक भारी।
शक शंका दुखी मन वासी,
सुखी मन रहे दूर उदासी।
बुद्धि विवेक साथ जो अपने,
मधुरता ऐसी जैसे मधुमासी।
दुख अपना सबसे नहीं रोना,
दर्द और अपनी बढ़ जाना।
रखना नहीं उम्मीद किसी से,
मिले साथ तो आदर करना।
🍁🍁☛....#हृदयवंदन
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
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