नमन हे माँ...
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ममता सुखी घर मंदिर होती।
ममता दुखी घर जंजाल होती।
त्याग सुख किसके लिये जीती।
समझ तुझे नहीं इसकी होती।
अपने सुख दुख भूली रहती।
तेरे नींद सोती माँ जगती।
दिन को दिन न रात समझती।
अहसास नहीं भावना उसकी।
था अबोध तुझे ज्ञान न उसकी।
रहे सुखी हर जतन माँ करती।
ममता की देवी कामना करती।
नमन सभी ममता को "धीर"।
कभी दुखी माँ हो न अधीर।
🙏🙏
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
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