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Monday, 25 January 2021

एक जमाना ऐसा....

एक जमाना ऐसा....
🍁🍁
एक  जमाना   ऐसा  भी  था,
हर  घर  हर आंगन खुश था।

परिवार  एकजुट  रहता  था,
जीवन  हंसी खुशी होता था। 
छोटे बड़ों का अदब लिहाज,
प्यार मोहब्बत आपस में था।

छनछन खनखन से पहचान
बहू  बेटी  का  घर  आंगन में
खासने  के  अंदाज अनोखा,
बड़े   बुजुर्गों   के   होते  था।

अदब   लिहाज   मर्यादा  था,
जीवन सच्चा और सादा था।
शिक्षित नहीं थे नहीं था ज्ञान,
पर अशिष्टता उनमें नहीं था।

अपना  संस्कार  अनोखा था,
अनोखे  अपने  लोग भी था।
डिग्री नहीं था अभिमान नहीं,
आपसी  सौहार्द  बेजोड़ था।

वेशभुषा आज हुये बेहिसाब,
बोध चरित्र का कराते जनाब।
फूहड़ता  पर  गर्व  मन  रास,
आधुनिकता का नाम खराब।

रहन  सहन अपने खान पान,
हितकारी  और  बढ़ाये मान।
विदेशी  भी  अपनाने लगा है,
देशी  इन  बातों  से  अंजान।

एक   जमाना  ऐसा  भी  था,
हर  घर  हर आंगन खुश था।
लोग थे  ज्यादा सहन थे कम,
तबभी मिलजुल रहते थे हम।
👀
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव"धीर"

Saturday, 16 January 2021

इश्क के नाम....

इश्क के नाम....
❤❤
मुकाम  मिला  तो नाम इश्क।
नाकाम  रहा  बदनाम इश्क।।

आसान  जिन्दगी   राह  इश्क।
करे  नफ़रत  करे प्यार इश्क।।

जिन्दगी  के  हर  काम  इश्क।
प्यार  मोहब्बत लगाव इश्क।।

राम   रहिम   भगवान  इश्क।
इबादत  अरदास धाम इश्क।।

चेहरों   की   मुस्कान   इश्क।
आन  बान  और शान इश्क।।

सुख  की  होती जहान इश्क।
दुख  की  भी भण्डार इश्क।।

चढ़े  परवान आसमान इश्क।
गर शमा जले तो राख इश्क।।

मारा  मारा   फिरता  कहता।
दवा  नहीं  हो इलाज  इश्क।।

संभल  के करना साथ इश्क।
करेगा  वरना  बेताब   इश्क।।
❤❤
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)




Friday, 1 January 2021

नमन हे विधाता...


नमन हे विधाता...
🍁🙏🍁
सभी  को  मिलेगा,
अपना    निवाला।
करम साथ अपना,
सच्चा आप रखना।

जरूरी  नहीं हाथ,
अपना साथ देगा।
जो लाया जहां में,
वही   साथ  देगा।

कदम पथ अपना
सदा बढ़ते रहना।
विश्वास   भरोसा,
सदा साथ रखना।

सभी  को  मिलेगा,
अपना   निवाला...

यही   दुनियादारी,
ऐसे  ही   चलेगी।
दुनिया  में  आना,
करम भोग जाना।

लिखा जो विधाता,
उतना   वो  पाता।
कम  और ज्यादा,
इंसान    जोड़ता।

नमन  हे   विधाता,
कृपा  यही  करना।
करम  करते  जाएं,
भटक हम न पाएं।

सभी  को  मिलेगा,
अपना    निवाला...
🙏🙏
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

ससुराल मायका बहू बेटी...

ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁   ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...