प्रबल प्रहरी नेता हमारे....
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प्रबल प्रहरी नेता हमारे।
अपनी जड़ें सिंचते प्यारे।।
अपने जेब पे ध्यान रखते।
देश सेवा का ख्याल किसे।।
नेम फेम तंत्र और भी होते।
राजनीति में ही क्यों आते।।
झूठ फरेब एजेण्डा बनाते।
कुर्सी प्रलोभन सहारे पाते।।
असल राजनीति जन सेवा।
सच में होती उनकी मेवा।।
असल संघर्ष जनता करती।
उनके मेवा का स्तंभ होती।।
देकर के मुफ्त का लालच।
जन जन कुंठित कर देता।।
कामचोर तो काम न करते।
मुफ्त पे नज़र लगाये रहते।।
चाहत सत्ताशीन होने का।
येन केन हथिया लेने का।।
घोषणा ऐसी कर लूटता।
राष्ट्र कोष खाली करता।।
दुरगामी परिणाम न सोचते।
देश खोखला कर जाते।।
लाखों नौकरी दस्तखत देते।
शिक्षा मित्र बना वोट पाते।।
लूटा खजाना जन नायक।
कामचोरों के होते रहनूमा।।
बंदर बाट में निशदिन रहते।
सेवा भाव से प्रेम न रखते।।
ईमान की रोटी खाने वाला।
देश की सेवा करने वाला।।
जुझता उसको क्या मिलता।
बेईमान अपना देश लूटता।।
नीति निर्धारक नियंता भी।
विधान बना ना रोक पाते।।
राजनीति के ही चट्टे बट्टे।।
सब ख़ामोश हो जाते पट्ठे।
जनता हित से पहले जो।
अपने हित को श्रेष्ठता दे।।
ऐसे जन नायक नेता को।
शत शत हम प्रणाम करते।।
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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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