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Thursday, 9 July 2020

गीत (कितना भी प्यार लूटाता)

~~गीत~~
♨♨
कितना भी प्यार लूटाता 
तुझे कुछ नहीं भाता..........
हाड़ मास की काया
जाने क्यूँ अकड़ता।
प्रेम प्यार संग रहता
तेरा क्या चला जाता।

कितना भी प्यार लूटाता 
तुझे कुछ नहीं भाता..........
हर वक्त उफान में रहता
तुझे क्या हो जाता।
ईश्वर की धुनी रमाता
फिर क्यूँ नहीं समझता।

कितना भी प्यार लूटाता 
तुझे कुछ नहीं भाता.........
प्यार मैं तुझसे करता
तुम नफ़रत क्यूँ करता।
दो दिन की जिन्दगी को
गमगीन क्यूँ करता।

कितना भी प्यार लूटाता 
तुझे कुछ नहीं भाता..........
फाएदे का मेरा सौदा
क्यूँ घाटे में है जीता।
तंग कभी नहीं करता
तुम्हें क्या हो जाता।

कितना भी प्यार लूटाता 
तुझे कुछ नहीं भाता..........
♨♨
~~
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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