🙏मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम के मंदिर निर्माण को लेकर हमारे समाज में तमाम तरह की चर्चाएं जोरों पर है। जितने लोग उतनी बातें। कोई मंदिर निर्माण की जगह पर अस्पताल की बात करता तो कोई विद्यालय तो कोई काॅलेज की बात करता है। तो कोई मंदिर निर्माण में होने वाले खर्चे को फजूल बता रहा है। सभी की बातें अपने अपने सोच के अनुसार कुछ हद तक ठीक है परन्तु इस पर और गहराई से चर्चा करने और समझने की जरूरत है। इसके प्रभाव व महत्व व असर ताकत को भी जानने व समझने की जरूरत है।
आज इसी पर अपने हृदय की बात को आप सभी से साझा कर रहा हूँ :-
⚘मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की जय हो⚘
भगवान राम के जीवन का महत्व सिर्फ आस्था से ही नहीं है उनके जीवन आदर्श से है, उनके जीवन मूल्यों से है।
आज हमारे देश में जो आस्तिक हैं वो सनातनी संस्कृति को तो मानते हैं पर जो नास्तिक हैं वो नहीं मानते फिर भी उनके मन पर अपनी संस्कृति का थोड़ा बहुत असर प्रभाव सकारात्मक है वो बस एक सकारात्मक संगत से समय पर ही बदलता है। इस प्रकार से कहले तो सभी कहीं न कहीं अपनी सनातनी संस्कृति व संस्कार से प्रभावित हैं, न करते हों, न मानते हों फिर भी उनका झुकाव किसी न किसी प्रकार अपने वैदिक कल्चर व संस्कृति के प्रति है। आज इसका अपना एक अलग विज्ञान है जिसे वैज्ञानिक भी स्वीकारते हैं।
गलत व बेईमान व्यक्ति के साथ भी जब गलत होता है तो वह विचलित हो जाता और वह तब कुछ पल के लिए ही मगर सत्य व सही का पक्षधर हो जाता है। जिससे यह स्पष्ट है कि हर इंसान सत्य, सच्चाई व अच्छाई का पक्षधर है।
इंसान का अस्तित्व व व्यक्तित्व उच्चकोटि का है और वह अपने संस्कृति अपने संस्कार से जुड़ा हुआ रहता है तो स्वाभाविक है ऐसा व्यक्तित्व अपने घर परिवार में सद्चरित्र और संस्कारी होगा। तब ऐसे व्यक्तित्व पर सहज नही होता किसी के द्वारा अंगूली उठाना। इंसान के अंदर अगर कर्तव्यनिष्ठा का ऐसा ओज है तो समाज में भी उसका अलग प्रभाव होता है और उसकी ओज उसकी कीर्ति संसार में प्रकाशमान होती है। यह सब सनातनी संस्कृति, संस्कार और अटूट निष्ठा से ही संभव है।
मंदिर निर्माण की मुश्किल आज सहज:-
अब बात मंदिर निर्माण की करते हैं। श्री राम मंदिर हमारे हिन्दू समाज की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी व प्रतिष्ठित आस्था से जुड़ा हुआ 500 सौ साल पुराना विवादित प्रकरण था। जिसका सुखद अंत सम्पूर्ण मानवता को गौरवान्वित किया है। हिन्दू व मुस्लिम दोनों सम्प्रदाय के लिए सुखद अहसास रहा है क्योंकि अत्यन्त ही सहजता से इसका निराकरण हुआ। जिसका मजबूत व सकारात्मक पहलू यह है कि दुश्मन देशों के लिए करारी शिकस्त देने का काम किया परन्तु अपने देश के चंद नकारात्मक शक्तियों के लिए यह फैसला जरूर कष्टप्रद रहा है। आज अपनी आस्था अपनी ताकत अपने अस्तित्व के स्तंभ की बहुत बड़ी जीत है। आज विश्व समाजिक पटल पर हमारी छवि हमारी ताकत व हमारी शक्ति लहरा रही है।
आस्था की ताकत व महत्व :-
जहाँ आस्था होती वहीं विश्वास होता है और विश्वास ही इंसान को ताकतवर बनाता है और उसे उसके गन्तव्य तक लेकर जाता है। विश्वास व भरोसा ऐसा कारक है जो इंसान से असंभव कार्य भी करवा देता है। विश्वास व भरोसा से लवरेज इंसान से सामना करना आम सोच वाले इंसान के बस की बात नहीं होती।
आस्था की जीत नकारात्मक शक्तियों का पतन से है उनके मनोबल का ह्रास से है। देश के सशक्त नेतृत्व की शुरू से यही मंशा रही और उसमें वह बखूबी कामयाब रही। जिसको लेकर सत्ता के गलियारे में आते ही एक के बाद एक सशक्त निर्णय लिया और मूर्त रूप देता चला गया। नामुमकिन कार्य भी सहजता से मुमकिन होना नकारात्मक शक्तियों को तोड़ता गया। जिससे खुल कर विरोध करने का साहस व मनोबल पनपने से पहले ही दब गया और कार्य की सफलता सुनिश्चित होता गया।
सशक्त नीति! सशक्त विचार! सशक्त फैसला! हमारी आस्था! हमारे संस्कार और उनसे हमारा जुड़ाव नकारात्मक शक्तियों के लिए घातक हथियार है, नकारात्मक शक्तियों के लिए व दुश्मन के लिए राफेल से कम नहीं है।
हम मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा या गिर्जाघर अपने आत्मबल, आत्मशक्ति, आत्मसंतोष के लिए जाते हैं और ईश्वर की आराधना व प्रार्थना व मनन करके हम ईश्वर को अपने समीप महसुस कर अच्छा अनुभव करते हैं और यह संतोष हो जाता कि हमने अपने परमपिता परमेश्वर से अपने मन की बात कर दिया है। मन में एक विश्वास पनप जाता है कि अब वे हमारी बात को पूरा करेंगे और वहाँ से एक नई ऊर्जा व नई शक्ति लेकर निकलते हैं।
विचार करें और स्वयं से प्रश्न करें क्या मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा और गिर्जाघर के लिए इंसान के दिल में आस्था का कोई मोल नहीं है? जवाब में पाएंगे कि "यह सोचना गलत होगा"। जहाँ जाने मात्र से अपने अंदर के तमाम विकारों से मन हटने लगता है सकारात्मकता का संचरण होने लगता है। अब सोच कर बताएं क्या इतना महत्वपूर्ण जगह इंसान के लिए जरूरी नहीं। नकारात्मक सोच रखने वाले इसका मोल नहीं समझ पाएंगे बल्कि ऐसी सोच वाले प्रतिकुल परिस्थितियों में विचलित होकर ईश्वर को भी गलत व झूठा ठहरा देते हैं।
धर्म स्थल इंसान के मनःस्थिति का पावर बैंक :-
परमपिता परमेश्वर के दरबार में कदम रखने से वहाँ शीश झुकाने से अपने मन की बात करने मात्र से एक नई ऊर्जा व नई शक्ति और मनःस्थिति में असाधारण बदलाव होता है तो ऐसी जगह इंसान के लिए बिलकुल ही पवित्र व अतुलनीय है। और वहीं से स्वस्थ मानवता का उदय होता है। अब आप बताएं क्या जीवन के लिए धार्मिक स्थान प्रासंगिक नहीं है?
हमारे सोच के अनुसार इंसान के जीवन में विद्यालय व चिकित्सा का महत्व तो है ही उसका भी विस्तार होना चाहिए परन्तु अपने धार्मिक स्थान का विशेष महत्व देने की इसकी ताकत को पहचानने व समझने की जरूरत है। जीवन की शिक्षा दिक्षा के साथ साथ धर्म कर्म व उनके प्रति आस्था भी बहुत जरूरी व आवश्यक है। आज शिक्षा स्तर उनके तौर तरीके हमें हमारे संस्कार व संस्कृति से दूर कर रहा है इसमें खास तौर पर परिवर्तन की जरूरत है।
इंसान की ताकत अपने जड़ों से जुड़ कर रहने से है। उसका आदर व सम्मान करने से है। जिस प्रकार तना से अलग होते ही पत्ते व फल, फूल का वजूद समाप्त हो जाता है। उसी प्रकार हम अपनी संस्कृति व संस्कार से दूर होकर अपने अस्तित्व व वजूद दोनों का नाश कर रहें हैं। देश के मुल्लापरस्त चंद नेताओं ने भारत की संस्कृति से खेलवाड़ कर फेर बदल कर यहाँ के जनमानस को तोड़ने का काम किया है।
उलाहना से बचें, स्वागत करें! सम्मान करें! गर्व करें :-
जब भारत का हर इंसान अपनी संस्कृति अपने तौर तरीके को अमल में लाएंगा उसे अपनाएगा उस पर समर्पण भाव रखेगा तभी दूसरे लोग आदर व सम्मान करेगा और अनर्गल करने व बोलने का साहस नहीं करेगा।
💀आज बहुत दुख होता है जब हमारे कुछ नासमझ हिन्दू भाई यह कहते हैं मंदिर की क्या जरूरत है? फजूल खर्च है? जिससे हमारा वजूद है जिससे हमारी पहचान है उसी के खिलाफ बोल रहे हैं। क्या उम्मीद करोगे धर्म के अन्य ठेकेदारों से जो धर्म व आस्था के प्रति कट्टर हैं, मन से सोचो....? हम क्या मैसेज दे रहे हैं....? हमारे संस्कृति का क्या होगा....? हमारा भविष्य पर क्या असर होगा.....?
हमें अपनी संस्कृति व महानता व छवि के लिए अपनी सोच बदलना होगा :-
☛दूसरों के मानसिक पटल पर अपनी सशक्त छवि बनाने के लिए हमें अपना और अपने समाज का सम्मान करना होगा।
☛अपने धर्म अपने संस्कृति को अपनाना होगा उसका प्रचार प्रसार व मान बढ़ाना होगा।
☛हमारी आस्था विश्वास व भरोसा के प्रतिक को सहेजना होगा उनको समाज में प्रतिष्ठित करना होगा।
☛हमारे आस्था के प्रतिक हमारे ईष्टदेवों पर बनने वाले हास्य व्यंग की नौटंकी पर कड़ाई से रोक लगाना होगा।
☛इंसान की पहचान अपनी संस्कृति! उसकी ताकत अपनी संस्कृति! जुड़े रहें! बने रहें! मजबूत रहें।
☛"खूद का करो सम्मान तभी लोग देंगे सम्मान" की नीति को अमल में लाना होगा।
☛हमारी मजबूती हमें एकजूट व संगठित होकर रहने में है।
मंदिर निर्माण से मानव को होने वाली उत्कृष्ट उपलब्धि यानि लाभ :-
श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य सम्पूर्ण मानवाता के लिए उसके आस्था व विश्वास हमारे संस्कार व सनातन संस्कृति को अपार बल मिलेगा। अब यह कहना गलत न होगा कि अयोध्या दुनिया का सबसे बड़ा इण्टरनेशनल धार्मिक औद्योगिक केन्द्र होगा। अयोध्या में हर तरह के नव रोजगार का सृजन होगा। पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, देश विदेश से पर्यटकों का जमावड़ा होगा। आज हिन्दु समाज की जो महत्वपूर्ण उपलब्धि या लाभ हुआ है उसको शब्दों मे वर्णित करना काफी विस्तार में ले चलना होगा बस यही कहना है कि आज आस्था के साथ साथ अर्थ का एक अनोखा स्तम्भ तैयार होने जा रहा है। स्वर्णिम इतिहास का सहभागी बनने के लिए धन्य हूँ। आप सभी को हृदय से बधाई।
धन्यवाद! आभार :-
भव्य श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए इस महान व पुनित कार्य के लिए हमारी तरफ उन सभी महान शख्सियत को हृदय से धन्यवाद देता हूँ जिनकी वजह से यह शुभ घड़ी पूरे संसार को नसीब हो रहा है। हम गौरवान्वित हैं कि हमें सहभागिता का अवसर मिला! हम धन्य हुए हैं!
सभी को आभार! हार्दिक शुभकामना।
जय श्री राम 🙏
♨♨
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.