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Friday, 17 July 2020

गज़ल

गज़ल
♨♨
मस्त रहती ऐसे ही कवियों की जिन्दगी!
कोई गमगीन तो कोई पढ़ खुश हो गया।

दर्द दिल को मिला गीत गज़ल बन गया!
राह मुश्किल हुई  संग  कविता बन गयी।

जहाँ कमियाँ दिखी उनमें सुधार हो गया।
जहाँ अच्छाईयाँ दिखी वो प्रसार हो गया।

मस्त रहती ऐसे ही कवियों की जिन्दगी!
हर मन हो कवि मातेश्वरी कृपा कर यही।

आरजू बस यही अज्ञानता धरा पर न हो!
माँ आशीष दे यही  श्वर अभिमानी न हो।

मानवता की राह में सत गुनगुनाता रहे!
दिल जगाता रहें सत कारवां बढ़ाता रहे।

मस्त रहती ऐसे ही कवियों की जिन्दगी!
कोई गमगीन तो कोई पढ़ खुश हो गया।
♨♨
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)


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