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Thursday, 16 July 2020

गज़ल (कैसे पैमाना बनाएं...)

गज़ल
♨♨
कैसे पैमाना बनाएं  हम जीने के लिए!
हर पल में वो पैमाना ही बदल देते हैं।।

तेरी मानक पर जीएंगे कसम ले ली है!
राहें मुश्किल है फिर भी गले लगाएंगे।।

धैर्य का स्वामी हूँ धीरज बनाए रखा हूँ!
वो भी दिन होगा हर पैमाना मेरा होगा।।

कैसे पैमाना बनाएं हम जीने के लिए!
हर पल में वो पैमाना ही बदल देते हैं।।

जाने क्यों हर घड़ी आजमाते हो तुम!
थोड़ी है जिन्दगी क्यों इतराते हो तुम।।

दर्द दिल को हुआ  गुनगुनाता  लेता हूँ!
गीत गज़लों से दिल को बहला लेता हूँ।।

कैसे पैमाना बनाएं हम जीने के लिए!
हर पल में वो पैमाना ही बदल देते हैं।।

फिक्र अपनी करो  तुम मेरे साथिया!
है यही  आरज़ू  खुश  रहे  तुम  सदा।।
♨♨

✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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