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Tuesday, 28 April 2020

फेसबुक बन गई रण भूमि।

।।फेसबुक बन गई रणभूमि।।
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फेसबुक बन गई रणभूमि
बने हम इसके परम योद्धा।

फेसबुक रही है फ्रेण्डभूमि;
विद्वता की मार यहाँ भी हुई।

सब फ्रेण्ड बनें एक दूसरे के;
फिर क्यूँ होए गुत्थम गुत्था।

जंग लड़ना सबको है आता;
खुद से, खुद को ही लड़ाता।

विचारों का स्वतंत्र मेल यहाँ;
हर कोई विचरण कर सकता।

उचित अनुचित भूल सदा;
क्यूँ झट खो देते हैं मर्यादा।

अपने ही बोल मान बढ़ाते;
अपने ही बोल मान घटाते।

याद आते बचपन के दिन;
बात बात में कट्टी कर लेना।

बात बात में यहाँ भी होता;
शुरू होते अनफ्रेण्ड करना।

प्यार मोहब्बत लड़ाई झगड़े;
सब वैसे ही बचपन वाले।

इस फ्रेण्डभूमि पर उभरे हैं;
मतवाले, शूरवीर कई योद्धा।

हंसी मजाक भी करने वाले;
हर पल मस्ती में डूबने वाले।

फ्रेण्डभूमि बन गई रणभूमि;
बनें हम  इसके परम योद्धा।
❣❣
 
कविता का भाव :-
☆☆फेसबुक वर्तमान में एक अनोखा ऐसा माध्यम है जिसने रिश्तों में दूरियां तो कम किया ही है साथ में उन रिश्तों को भी ढूंढ़ कर एक दूसरे से ऐसे जोड़ दिया है जैसे बचपन के दिनों में साथ रहते थे और उनके मिलने की कभी उम्मीद या संभावना ही नहीं रही परन्तु आज फेसबुक के इस अनोखे प्लेटफार्म के द्वारा आपस में जुड़ने का अवसर मिला बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ जिन्होने ऐसा प्लेटफार्म समाज को दिया।
☆☆समाज है यहाँ अच्छाईयां पनपती हैं तो बुराईयां भी झट पनपती है। आज फेसबुक पर ऐसे वार्तालाप हो रहे हैं जैसे न्यूज चैनल पर सभी मित्र बैठ गए हों। ऐसे बहस होने लगी है कि अगर व्यक्ति सामने हो तो उसे वाणी के साथ साथ हाथ पैर भी चल जाते। आज फेसबुक कुछ मित्रों ने इस रणभूमि भी बना दिया है और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के अपने चटख कमेण्ट के द्वारा परम योद्धा साबित करने में लगा हुआ है।
☆☆सभी यहाँ पर मित्रवत जोड़ से तो जुड़े हैं परन्तु अपने मर्यादाओं पर ध्यान केन्द्रित नहीं करते। अपनी अपनी विचारधारा को जबरन एक दूसरे पर थोपने पर लगे रहते हैं। हर व्यक्ति के सोच की अपनी एक सीमा होती है तत्पश्चात उसी के अनुसार उतना ही सही गलत का आकलन कर पाता और श्रेष्ठ बनने की जिद् पर अड़ा रहता जाहिर आपस में विवाद होगा।
☆☆फेसबुक अपने बचपन वाले दिनों के अच्छे बुरे सारे लम्हों को बखुबी याद करता है प्यार भी बचपन वाले दिखते हैं, हंसी ठिठोली बचपन वाले, लड़ाई झगड़े भी बचपन वाले बात बात में आपस में कट्टी कर लेना तरीका बदल गया आज अनफ्रेंड कर देना। सब बचपन वाले।
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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