खटपट एक्सप्रेस ट्रेन फेमिली..
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खटपट एक्सप्रेस ट्रेन फेमिली।
सोच, सेलफोन, ईधन उसकी।।
सरपट दौड़ खटपट कराती।
ब्रेक दिमाग, जो नहीं लगाती।।
झटपट रिश्तों में पैठ बढ़ाती।
जोड़ती नहीं, ज्यादा तोड़ती।।
आपसी खटपट ट्रेन कराती।
कर सवारी मन खोजे चैन।।
दुखद ट्रेन का गन्तव्य स्थल।
अपनों के बीच दौड़ा करता।।
इसका समय न रूट होता।
अदृश्य होती खटपट यह ट्रेन।
चार परानी तेरे और मेरे।
जिसमें दो तीन बाहर रहते।।
जर जमीन व मान को लेके।
एक दुसरे से विवाद होते।।
कौन कहा क्या बात कहा।
क्रोध आवेश के भेंट चढ़ा।।
सही भूला गलत याद रखा।
गलत बैठ अपनों तक गया।।
जो चश्मदीद गवाह न होता।
गलतियां दूसरे की बतलाता।।
अपनी गलती नहीं बताता।
गलत तथ्य उनके मन आता।।
खटपट ट्रेन नफरत दे जाता।
रिएक्सन भी ऐसा पहुँचाता।।
फिर रिश्तों को झेप आता।
मिलने से जी है कतराता।।
एक दूसरे में विवाद बढ़ाता।
ट्रेन संचालन बंद करो भ्राता।।
सुखद ट्रेन चलाओ दादा।
प्यार मोहब्बत सब्र से पाता।।
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✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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