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Sunday, 12 July 2020

नींद में बड़बड़ाना....

नींद में बड़बड़ाना....

☛नींद में खर्राटे लेना एक बिमारी है परन्तु बड़बड़ाना व चिल्लाना कुदरती व्यवस्था है जो इंसान के अंदर पनप रहे विकार को नींद की सुषुप्तावस्था अचेतन में नष्ट करवाती है। जो इंसान के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हितकारी भी है क्योंकि इस प्रक्रिया के बाद दूसरे पल इंसान विकार मुक्त हो जाता है। नींद में चिल्लाना बड़बड़ाना एकमात्र उसका ही अवगुण नहीं है उसके पीछे वो भी कारक हैं जो उसके अपने हैं। इसको समझने की जरूरत है और कारणों को जानने की जरूरत है। 

☛हर समस्या का निराकरण है बस इंसान को अपनी जिम्मेदारियों व कर्तव्य निर्वहन का ज्ञान हो। जीवन में हर चीज का एक दायरा है उसका भी सहज ज्ञान हो। इंसान और उससे जुड़ी उसकी कार्यशैली व उसकी अपनी क्षमता या उसका स्वयं का आचरण व व्यवहार व संस्कार पर स्वयं का नियंत्रण हो।

☛जब किसी के द्वारा किसी इंसान का कोई भी हक व अधिकार उसकी आदत व व्यवहार व उसके संस्कार से छेड़छाड़ किया जाता है या उसकी स्वतंत्रता में, उसकी आजादी में बाधक बनता है, जब अवरोध उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की मनोदशा खराब होने लगती है।

☛यदि व्यक्ति उसका विरोध प्रतिरोध कर ले जाता है तो वह लगभग सामान्य रहता परन्तु यदि विरोध प्रतिरोध नहीं कर पाता तो वह व्यक्ति हमेशा उसी बात व उसी प्रकरण को लेकर अपने आप से अपने अंतर्मन से द्वंद करने लग जाता और इसी जद्दो जहद में वह हर वक्त रहता है।

☛यही जद्दोहद उस व्यक्ति का तब देखने को मिलता है जब वह अचेतन अवस्था यानि नींद में होता है। ऐसे व्यक्तित्व के लिए कुदरत की यह बिलकुल नायाब व्यवस्था है कि जो नींद की सुषुप्ता अवस्था स्वप्न के रूप में सक्रिय होता है और इंसान अपने चेतन आवेग आवेश की तरह ही अपने स्वप्न में इस प्रकार व्यवहार करता और पूरजोर विरोध व प्रतिरोध करता।

☛परिणास्वरूप ऐसा इंसान नींद में ही अपनी पूरी ताकत से ऐसे कारकों का जिसका वह चेतन में विरोध व प्रतिरोध नहीं कर पाया था, विरोध करता है; स्वभाविक है कि वह नींद में चिल्लाएगा ही तथा उन कारकों पर अपने आदतानुसार उसी लहजे में गाली भी देता और कभी कभी घातक हमला भी कर जाता है। ऐसा हो जाने से इंसान फिर दूसरे दिन अपने को सहज पाता है।

☛यह समस्या ऐसे इंसान पर ज्यादा असर करती है जो परिवारिक व समाजिक दायित्वों की जिम्मेदारियों को समझता है और अपने मान सम्मान व मर्यादानुसार निभाने की चेष्टा करता है परन्तु परिवार के अन्य नासमझ अविवेकी सोच के सामने ऐसा व्यक्तित्व जब अपने को असहाय व विवश पाता है तो वह अनावश्यक विवाद से बचने के लिए तत्काल विरोध प्रतिरोध के बजाय अपना स्वभाविक मन मस्तिष्क से द्वन्द करने लग जाता और खामोश अन्तर्द्वन्द मानस पटल में चलता रहता।

☛तब इसका रिएक्शन इंसान की सुषुप्तावस्था नींद के अचेतन में देखने को बखूबी मिलता। इस घटनाक्रम को कोई समझ नहीं पाता। अगर आप कुछ जानने की चेष्टा करें तो पाएंगे कि वह व्यक्ति उसके ऊपर भड़क रहा था जिससे उसको निराशा हाथ लगी थी; उसके भावनाओं को ठेस पहुँची थी; जिस कारण उसके अंतर्मन में द्वंद चल रहा था और वह उलझन में था।

☛परिवार के हर सदस्य का या परिवार से जुड़े अन्य का यह नैतिक कर्तव्य व दायित्व है कि वह हर सदस्य चाहे वह छोटा हो या बड़ा हो या बुजुर्ग हो या घर में आने जाने वाले नौकर चाकर हो सबको मन से सुने, उनको सम्मान दें, उनके भावनाओं का कद्र करें, उनकी बातों पर तत्काल विरोध न करे, विरोध के लिए समय व सुन्दर व सलीके पर ध्यान दें, आदर सूचक शब्दों का इश्तेमाल करें। ऐसा करने से घर में सुख सम्पत्ति व सुकून होगा।

☛इसीलिए हमारे अपने बड़े बुजुर्ग सदा ही यही कहते थे कि हमेशा इंसान को अच्छा सोचना व करना चाहिए बेवजह किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए। किसी भी समस्या का निदान आपस में मिल बैठ कर बुद्धि व विवेक से करना करना चाहिए। यह भी कहते थे कि सोने से पहले ईश्वर का नाम ले अच्छे चरित्र को याद करें। बुजुर्गों की पुरानी बातें पुराने तथ्य आज अक्षरसः सत्य व सही है।

☛आज कोई भी इंसान उपरोक्त किसी भी बातों का कोई महत्व व तवज्जों नहीं देता। इतनी किसी इंसान की सोच ही नहीं है। तभी तो हमारे समाज में इंसान खूद की लापरवाहियों व नादानियों से तमाम तरह की समस्याओं व अवसाद से ग्रसित है। परिवार में विघटन हो जाता। आपसी तालमेल नफ़रत व घृणा की भेंट चढ़ जाता है।

☛जब किसी इंसान का अपने परिवार में ही उसका कोई वजूद नहीं रह जाता है तब ऐसे इंसान का दिमाग असंतुलित होने लग जाता, सोचने समझने की क्षमता का ह्रास होने लगता है, बुद्धि विवेक भ्रष्ट होने लग चला जाता है। अमन चैन परिवार का बिगड़ने लग जाता है। अब ऐसे परिवारिक परिवेश से क्या उम्मीद किया जा सकता? परिवार को क्या मिल सकता है? समाज को क्या मिल सकता? हमारा भविष्य कैसा होगा? बताने की जरूरत नहीं।

☛इस संसार में आज तक मानव को जो भी ज्ञान व उपदेश मिला उसमें बस एक बात पर ज्यादा ही फोकस किया गया वह है "प्रेम, प्यार व मोहब्बत" क्योकि यही वह कारक है जिससे घर परिवार व संसार सुन्दर बन सकता है और दूसरा तरीके का गंभीर परिणाम आज पूरी मानवता कोरोना के रूप में देख रहा झेल रहा है।
नोट:- यह लेख सिर्फ एकमात्र नींद में बड़बड़ाने व चिल्लाने जैसी समस्या के लिए ही नहीं है; इंसान व उसके जीवन से जुड़ी हर बात हर समस्या का समाधान उपरोक्त कथन व विचार से संभव है।
कहते हैं :-
ख़ुशी से बीते हर दिन, हर रात सुहानी हो!
कदम तेरे जिधर पड़े, फूलों की बारिश हो।
~~
हर समस्या के कारक भी हम सभी ही है!!
~~
हर समस्या का निराकरण सबके स्वयं के प्रयास से है!!
~~
बस अपनी कमियों की पहचान हो!!
~~
एक सुन्दर अहसास हो!!
~~
प्यार व मिठास हो!!
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♨♨
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✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)


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