अब जोत लो आतंकिस्तान!
बहुत हो चुकी आँख मिचोली!
जब आती ताबूत शहीद की!
मन व्यथित फटती छाती।
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श्रद्धांजली से मुक्ति न मिलेगी!
आतंकी कब्र खोदने की बारी।
इसमें तनिक विलम्ब न करो!
शांति का जाप अब बंद करो!
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जुर्रत न हो आँख उठा सके!
ऐसा खौफ जेहन में भर दो।
पीढ़ियां उनकी थर थर काँपे!
ऐसा कहर उन पर बरपा दो।
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बहुत हुई सपूतों की कुर्बानी!
अब और कुर्बानी सहन नहीं!
मातृभूमि का सीना हो छलनी!
ऐसी विवशता अब मंजूर नहीं।
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शस्त्रों का रूख ऊधर कर दो!
आतताई जिधर बसते हो!
अग्नि तेजस चिनूक रफेल का
गंभीर परीक्षण उन पर कर दो।
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जनमानस व्याकूल धरा का!
कब आतंकिस्तान नष्ट होगा!
देश की जनता सीख चुकी है!
कैसे देशहित में डटके लड़ना।
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मातृभूमि का हर जन योद्धा!
एक रहा संकट की घड़ी में!
ऐसी अनेक पहचान धरा की!
कोरोना ने भी सीखा डाली।
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अब जोत लो आतंकिस्तान!
बहुत हो चुकी आँख मिचोली!
जब आती ताबूत शहीद की!
मन व्यथित फटती छाती।
❣❣
देश समाज या परिवार हो!
इस का खाना इस का पीना!
इसी को मार पिट गाली देना!
गद्दारी नहीं तो और क्या है...?
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देश हित कभी नहीं सोचना!
अपने हित पर आहें भरना!
कुछ करना न कुछ न भरना!
बिना किए सब कुछ पा लेना!
गद्दारी नहीं तो और क्या है...?
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अपने कर्तव्य याद न रखना!
दूसरों पर सिर्फ अंगूली उठाना!
अपनी गलती भूल सहज ही!
बूरा भला बिन सोचे कह देना!
गद्दारी नहीं तो और क्या है...?
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हर वक्त मन से बुराई ढूंढ़ते!
कैसे हड़प लूँ कैसे लूट लूँ!
कैसे अपना हित साध लूँ!
बाकी से उनसे क्या लेना!
गद्दारी नहीं तो और क्या है...?
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गलत किया है गलत देखा है!
पुश्तैनी गलत जीवन जीया है!
गलत तभी दूसरों पर थोपते!
सबको उसी साॅचे में तौलते!
गद्दारी नहीं तो और क्या है...?
🐶
✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)
Super
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