आपनी वाणी कृपानिधाना!
सुख होवे है प्यार से रखना!
सुख होवे है प्यार से रखना!
गले में डाले फूलों का हार!
तनिक सरके जूतों का हार।
~~
इसमें भी है बड़ी विडम्बना!
बोल के बातें भूल भी जाना!
अपनी कछू याद न रखना!
दूसरे की तो गठियाए रहना!
~~
नेचर इनका बड़ा विकराला!
सुनके दूसरे की बिफर जाना!
बिन समझे कटु वचन सुनाने!
दूरी बनाओ फिर तुम जनाने।
~~
क्षण में मोहब्बत में उतराते!
क्षण में नफरत से भर जाते!
दिल के साफ अकल के अंधे!
प्रेम प्यार को लट्ठ से खोजे।
~~
वाणी महत्व को ये न समझे!
गलत मतलब दूसरे का ढूंढ़े!
मनुष होते ऐसे सदा अभागे!
बिन मतलब के संकट बढ़ाते।
~~
अपनी वाणी कृपानिधाना!
सुख होवे है प्यार से रखना।
~~
अपनी वाणी कृपानिधाना!
सुख होवे है प्यार से रखना।
💞💥💞
💥💞💥💞
💞💥
।।अपनी भाषा अपनी वाणी।।
🤔
अपनी भाषा अपनी वाणी;
सुख दुख की है महारानी।
प्रेम करें जो अपने जुबां से;
मान वही सम्मान बढ़ाए।
नियंत्रित रहे वाणी भाषा;
सुखमय जीवन निभ जाता।
वैमनुष्यता पनप न पाता;
सहज सुखद जीवन होता।
अपनी भाषा अपनी वाणी;
अच्छे बूरे वक्त काम आती।
विनम्रता जो इससे जुड़ जाए;
सदाचारी जीवन तब हो जाए।
कर्कश जब अपनी वाणी हो;
कंटक हर पग मौजूद मिलें।
अपनाएं गौरवान्वित हो जाएं;
कबीर की अमृत यह वाणी.....
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।।
💥कविता का भाव :-
💥मानव जीवन में उसकी अपनी बोली और भाषा का बहुत ही महत्व है। मानव का मान सम्मान, आदर अनादर सब उसकी बोली और उसकी भाषा के अनुसार घर परिवार व समाज में होता है।
इंसान अगर प्रेमी है तो उसे अपने द्वारा बोले जाने वाले शब्दों से भी प्रेम करता है और कुछ भी कहने सुनने व बोलने से पहले अपनी बोली व भाषा को प्यार से परखता है जाॅचता है कि जिससे अपने सुनने वालों को किसी प्रकार से आहत न करे। यह काम इतना आसान नहीं पर अपने लिए ही हितकारी है और खूद का मान सम्मान बढ़ाता है।
💥अगर इंसान के बोली भाषा पर नियंत्रण है तो कितना ही शातिर कोई क्यों न हो वैमनुष्यता की संभावना कम रहती संतोषजनक व सुखमय जीवन बनता है। अच्छे व सम्मानित शब्दों व भाषा का इश्तेमाल करने से इंसान का कठोर व मुश्किल कार्य (अच्छे व बुरे) सहज व सरल हो जाता कभी कभी तो कल्पना से परे भी होता कि यह कार्य कैसे हो गया। ऐसा करने से इंसान का खूद का जीवन साथ में उसके संपर्क में रहने वाले लोगों का भी जीवन सदाचारी बनता।
💥अगर बोली भाषा तथा शब्दों मे मधूरता नहीं है तो मान कर चलें की जीवन आपका दुखों से भरा है; आपके जीवन में हर क्षण हर पग मुश्किले व परेशानियां मौजूद मिलेगी। उक्त के संदर्भ में कविवर संत कबीरदास जी की अमृत वाणी का प्रसंग अतुलनीय व महान है।
✒....धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव।
Vry Nice
ReplyDelete