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- कोरोना जैसी घातक अप्रत्याशित वैश्विक महामारी का देश में आना तत्पश्चात लाकडाउन का होना! तमाम अप्रत्याशित समस्याओं उत्पन्न होना साथ में मजदूरों का पलायन लाकडाउन का सबसे प्रमुख दंस समाज झेलने को मजबूर व विवश है।
- मजदूरों का शहरों से पलायन बहुत बड़ा दुख का सबब है हम मानव हैं वेदना स्वभाविक है; इसी वेदनावश हम गुण व महत्वपूर्ण बातों को नजरअदांज कर वेदना के वशीभूत होकर विलाप करना दुखी होना वेदना प्रकट करना मानव मात्र के लिए स्वभाविक। यह घटना जनता के लिए अकस्मात ही है इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए पूरा संसार भी तैयार नहीं था। सब अपनी जिन्दगी अपने तरीके जी रहे थे किसी को इसका भान तक नहीं था।
- विचारणीय तथ्य है कि सवा सौ करोड़ से ज्यादा की आबादी अपने देश की है; लाकडाउन ही इसका सहज सरल व प्रमुख ऊपाय था इसलिए लाॅकडाउन बहुत जरूरी था।
- मजदूरों के पलायन की संख्या जो सामने आ रहा था ये अधिक से अधिक लाखों की रही है पुरे देश की!
- लाॅकडाउन की वजह से कम से कम पुरा देश रन तो नहीं कर रहा था सड़क पर तो नहीं था; स्थिर तो था।
- इसे नियंत्रित करना बहुत कठीन कार्य है फिर भी राज्य सरकारें अपना कार्य कर रही थी। कुछ तो जैसे तैसे पहुँचे तो कुछ सरकारी संसाधनों से पहुँचाए गए।
- विचार कीजिए पुरा सवा सौ करोड़ सड़को व शहरों में रोज की तरह चलती तो क्या होता?
- लाॅकडाउन की घोषड़ा के उपरान्त अफवाहों, भय व असंतोष के कारण एक साथ इतने लोगों का जमावड़ा की ऐसी स्थिति हैरान व परेशान करने वाली थी खतरे का आकलन कर वेदना व भयावह स्थिति को सोच कर विलाप किया जाना संवेदनशील समाज के लिए जायज है।
- क्या यह विचारणीय प्रश्न नहीं था जब पुरा देश बाहर रहता सवा सौ करोड़ से ज्यादा की आबादी बाहर रहती फिर हालात क्या होता?
- हम ऐसी सोच व ऐसे सवाल से खुद को कमजोर व असहाय बनाने की कोशिश में लगे रहें। सशक्त फैसलों से हम भीषण तबाही से बचकर संघर्षरत हैं तथा बचाव के हर संभव प्रयास युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।
- अमेरिका, इटली, फ्रांस, जर्मनी इत्यादि यूरोपीय देश अपने अर्थ व्यवस्था के चक्कर में समय से लाॅकडाउन निर्णय न ले पाने के कारण सुविधा सम्पन्न होते हुए भी मौत व संक्रमण को रोक नहीं पा रहें हैं और सही वक्त पर लाकडाउन न करके तबाही के मुहाने पर खड़े है। उनके मुकाबले हम सुदृढ़ अवस्था में हैं।
- गर्व है अपनी संस्कृति व संस्कार पर नेतृत्व के एक आह्वान पर पूरा लेश एकजुटता की मिशाल कायम कर रही है। एकजुटता की यही वह भावना व शक्ति है जो हमें कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से मुक्त कराएगी।
- इसी प्रकार पुलिसिया कार्यवाही पर भी जो सवाल उठाए गए वह भी गलत व अविवेकी था! वो तो खुद अपनी जान हथेली पर रखकर ड्यूटी कर रहें हैं किसके लिए! उलंघन पर उनका क्रोध लाज़मी था। देश ऐसे योद्धाओं को सलाम करता है। विचार करें घर में बच्चा आपके बार बार मना करने पर भी बात नहीं मानता तो सख्ती करनी पड़ती हैं।
- इस गंभीर वैश्विक महामारी के दौर में किसी न किसी को त्रासदी का शिकार होना तो निश्चित है चाह के भी इसे टाला नहीं जा सकता।
- हमको आपको इस दंस को इस पीड़ा सहन करना ही होगा यही कड़वी सच्चाई है जिसे धैर्यता से स्वीकार करना ही पड़ेगा।
- जितना हो सके बस सहयोग सहयोग और कुछ नहीं। सिर्फ देखने व दिखाने से समस्या का निदान नहीं है। हमें कम से कम हौसला व हिम्मत व विश्वास बनाए रखना होगा।
✒....धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
Right. Good
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