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Friday, 1 October 2021

राष्ट्रीय जयचंद.....

 राष्ट्रीय जयचंद.....
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राष्ट्रीय  जयचंद बेरोजगार हो गये।
नंग धड़ंग  और  गुनहगार हो गये।।

दसों अंगुली घी में कभी थे जिनके।
आज बेनकाब सब बेकार हो गये।।

भटक  रहे दर दर  गुमराह  कर रहे।
दरिंदगी  खुल कर सरेराह कर रहे।।

खुद  को  बेगुनाह  बताने के लिए।
उपद्रवी  और  भी  गुनाह कर रहे।।

भाय भतिजा भांजा जहान उनका।
राष्ट्र हित में नहीं  योगदान उनका।।

अपना हित साधे भाड़ में जाय राधे,
सिद्धांत  योगदान है महान उनका।।
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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव"धीर"

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